12/12/2010

नहीं बजता दिमाग का बैंड


 फिल्म : बैंड बाजा बारात
निर्देशक : मनीष शर्मा
निर्माता : आदित्य चोपड़ा
कलाकार : रणवीर सिंह, अनुष्का शर्मा, मनमीत सिंह, मनीष चौधरी, नीरज सूद

दिल्ली की जिंदगी पर तो कई फिल्में बनी हैं लेकिन डीयू के यंगस्टर्स और करियर कांसस बिहेवियर को लेकर 'बैंड बाजा बारात" शायद ऐसी पहली फिल्म होगी। यंगस्टर्स की जिंदगी पर आधारित यह फिल्म यंगस्टर्स को नए-नए करियर और उसकी संभावनाओं के नजरिए दिखाती नजर आती है। फिल्म की अधिकतर शूटिंग दिल्ली में हुई है लेकिन शुरुआत में ही दर्शक आसानी से कहानी के क्लाइमेक्स को समझ जाता है। क्योंकि अधिकतर फिल्मों या यों कहें हमारी जिंदगी में यही होता है कि एक साथ काम करते-करते एक-दूसरे को समझने लगते हैं और फिर प्यार भी करने लगते हैं।
चूंकि निर्देशक मनीष शर्मा खुद डीयू से हैं, इसलिए लगता है कि उनके दिमाग में पहले से ही कहानी और लोकेशन तय था। उन्होंने दिल्ली के उन लोकोशनों पर शूटिंग की है जहां अभी तक किसी भी फिल्म मेकर्स की नजर नहीं गई है। डीयू के रामजस कॉलेज में पढ़ने वाली श्रुति (अनुष्का शर्मा) और हंसराज कॉलेज में पढ़ने वाले उसके दोस्त बिट्टू शर्मा (रणवीर सिंह) की यह कहानी है। एक ओर जहां श्रुति पढ़ाई खत्म करने के बाद वेडिंग प्लानर का बिजनेस करना चाहती है वहीं बिट्टू मस्तमौला है। श्रुति को लुभाने के लिए जहां वह पूरी रात जग कर उसके डांस के कैसेट तैयार करता हैं वहीं गांव में पापा के गन्ने के बिजनेस में न जाने की इच्छा के कारण वह श्रुति के बिजनेस में पार्टनर बन जाता है। दोनों के बीच पार्टनरशिप का अहम सिद्धांत है, 'जिससे व्यापार करो, उससे कभी प्यार न करो"।
दोनों साथ मिलकर अपनी कंपनी 'शादी मुबारक" को पहले मिडिल क्लास फैमिली से लांच करते हैं और धीरे-धीरे उस मुकाम तक ले जाते हैं जहां बड़े-बड़े लोगों की इच्छा होती है कि उसके यहां की शादी का सारा तामझाम 'शादी मुबारक" संभाले। दिल्ली के सैनिक फार्म से लेकर राजस्थान की भव्य शादियों में इनकी कंपनी की ही मांग होती है। धीरे-धीरे दोनों अपने कामों में इतने मशगूल हो जाते हैं कि अपने पार्टनरशिप के सिद्धांत को भूलकर एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं। एक रात जब दोनों अपनी पहली सफलता मना रहे होते हैं तभी कुछ ऐसा होता है कि दोनों के बीच के समीकरण बदल जाते हैं और बाद में श्रुति उससे कंपनी छोड़ देने के लिए कह देती है। दोनों के बीच दूरियां बढ़ती हैं और श्रुति अपना अलग बिजनेस शुरू की लेती है। बिट्टू भी 'हैप्पी मैरिज" नाम से दूसरी कंपनी खोल लेता है लेकिन दोनों के काम सही नहीं होते और उन पर काफी कर्ज हो जाता है। हालांकि एक भव्य शादी की तैयारी की चुनौती मिलने पर दोनों एकसाथ हो जाते हैं।
फिल्मी दुनिया में डेबू कर रहे रणवीर सिंह इंटरवल के बाद थोड़े से जमे दिखाई देते हैं, बावजूद इसके उन्हें अभी काफी कुछ सीखना है। यशराज फिल्म के बैनर तले अनुष्का शर्मा की यह तीसरी फिल्म है, फिर भी एक्टिंग में खुद को और डुबोना बाकी है। यह फिल्म चूंकि यंगस्टर्स को ध्यान में रखकर बनाई गई है, इसलिए ठीक है, वरना कोई बड़ा स्टार होता तो दोनों पानी मांगते नजर आते। फिल्म में अनुष्का और रणवीर के बीच लंबा लिप टू लिप किसिंग सीन तो हर किसी को खटता है, यह मनीष शर्मा की असफलता कही जाएगी। डायलॉग में दिल्ली के शब्द दर्शकों को फिल्म से जोड़ते हैं। इसके गाने लोगों की जुबान पर भले ही न चढ़ पाए हों लेकिन धुनें कर्णप्रिय हैं। बहरहाल, जिस तरह 'मूंगफली" एक तरह टाइम पास है, खाते हैं और भूल जाते हैं, उसी तरह इंटरटेनमेंट के लिए यह फिल्म टाइम पास है। नाम तो बैंड बाजा बारात है लेकिन आपके दिमाग का बैंड बजाए, इतना मसाला इसमें नहीं है।

1 comment:

अरुण चन्द्र रॉय said...

dekh ke aayaa hoo... aapki samiksha jam rahi hai...