10/30/2010

जज्बा तो निजात आसान

आस्ट्रेलियाई सिंगर केली मिनोग को आप जानते ही होंगे। उनके गानों के दीवाने आप नहीं, तो आपके दोस्त जरूर होंगे। वह चहकती, चुलबुलाती सबको खुश कर देती है। उसके मुस्कराते चेहरे के पीछे का दर्द हर कोई नहीं जानता। 2005 से पहले 42 वर्षीय मिनोग को ब्रेस्ट कैसर था और उन्होंने इसका डॉयग्नोसिस करवाया। सर्जरी के साथ-साथ कीमोथेरेपी कराने के बाद एक साल के भीतर उन्होंने इंडस्ट्री में वापसी की। इसके बाद वह 21 देशों के टूर पर गईं और 11वां एलबम निकाला। उन्हें ’मोस्ट इंस्पायरेशनल‘ ब्रेस्ट कैसर सेलिब्रिटी का खिताब दिया गया।
सबकुछ पैसा या इलाज ही नहीं होता, सकारात्मक सोच भी बड़ी चीज होती है । यदि आपने बीमारी को छोटा आंका और तय किया कि यह मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती और इसे ठीक करना है, तो इससे थोड़ी-बहुत परेशानी तो होगी, लेकिन कम से कम जान तो नहीं जा सकती
रिपोर्ट बताती है कि 2007 में भारत में जहां ब्रेस्ट कैसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या 3.5 करोड़ थी, जो 2012 तक 6.4 करोड़ हो जाएगी। भारत में हर 22 महिलाओं में से एक को पूरी जिंदगी इसके होने का डर बना रहत है। हालांकि अमेरिका और आस्ट्रेलिया की हालत भी कुछ अच्छी नहीं है। अमेरिका में हर आठ महिलाओं में से एक को इसका लाइफटाइम रिस्क रहता है, वहीं आस्ट्रेलिया में हर 11 महिलाओं में एक को यह डर सताता है। ब्रेस्ट कैसर होने का खतरा आनुवंशिक होता है।
वैसी भी उन्हीं महिलाओं को यह होने का खतरा होता है, जिनके पीरिएड्स 12 साल की उम्र से पहले या फिर 55 साल की उम्र के बाद जिन्हें मेनोपॉज होता है। जो महिलाएं कभी प्रेगनेंट नहीं होतीं, जो 30 साल के बाद पहली बार प्रेगनेंट होती है, ऐसी महिलाएं भी इसकी शिकार हो सकती है। हालांकि जो महिलाएं 20 साल की उम्र से पहले मां बन जाती है या जो कई बार गर्भवती होती है, उन्हें भी यह कैसर होने की आशंका रहती है लेकिन रिस्क काफी कम होता है। ब्रेस्ट कैसर से अधिक मौतें 50 साल की अवस्था या इसके बाद होती है। हालांकि पुरुषों में भी यह बीमारी होने लगी है लेकिन महज एक फीसद लोग ही इसके शिकार है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक और बचाव करने व रहन-सहन ठीक करने से इस पर काबू पाया जा सकता है। नब्बे के दशक में इससे लोगों को जागरूक करने के लिए ’पिंक रीबन‘ सिंबल चुना गया था। 1996 में ’मेन गेट ब्रेस्ट कैसर टू‘ कंपेन के तहत नैसी निक ने पिंक और ब्लू रिबन को डिजाइन किया था।
बहरहाल, जागरूकता अहम मुद्दा है लेकिन केली मिनॉग से महिलाओं को सीख लेने की जरूरत है। केली मिनोग और उनका कारनामा महिलाओं को प्रेरणा देने का काम करता है। सबकुछ पैसा या इलाज ही नहीं होता, बल्कि सबसे जरूरी है- मन का सुख यानी सकारात्मक सोच। यदि आपने बीमारी को छोटा समझ लिया कि यह मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती, इसे ठीक करना है तो यह थोड़ा-बहुत परेशान तो करेगी लेकिन कम से कम आपकी जान तो नहीं जाएगी। शोधकर्ताओं का कहना है कि ज्यादातर बीमारियां तो बेहतर डॉक्टर के पास जाने के साथ ही ठीक होने लगती है। ’मु न्नाभाई एमबीबीएस‘ फिल्म को याद करें। माहौल भी काफी अहम होता है। खुशनुमा माहौल से काफी फायदा होता है। केली मिनॉग का जज्बा यह विश्वास दिलाता है कि यदि डर पर विजय पा ली जाए और कुछ कर दिखाने का जज्बा हो, तो ब््रोस्ट कैसर जैसी बीमारी का इलाज मुमकिन है।

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