4/19/2010

आपके हाथ आपका भविष्य

इंटरनेट ऐसा "हथियार' है जिससे आपने यदि दोस्ती कर ली तो आपकी मुट्ठी में दुनिया है। की-बोर्ड की सहायता से इतनी जानकारी आपके पास होगी जिसे आप सालों-साल स्कूल, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों या लाइब्रोरी में बैठकर भी हासिल नहीं कर सकते। लेकिन इसका उल्टा असर तब शुरू हो जाता है जब आप इंटरनेट एडिक्ट में तब्दील हो जाते हैं और आपको इसका पता भी नहीं चलता है। जब तक इसका दुष्परिणाम सामने आता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। पिछले दिनों हुए कई शोधों में यह बात सामने आई है कि इंटरनेट के अधिक प्रयोग से डिप्रेशन होने का खतरा काफी रहता है।
लीड्स विवि के मनोवैज्ञानिकों ने अपने शोध के जरिए इंटरनेट और नेट सर्फिंग के जरिए होने वाले मानसिक दुष्प्रभावों को सामने लाया है। उनके मुताबिक,ज्यादा समय तक नेट यूज करने से मानसिक स्थिति प्रभावित होती है। इसने रियल लाइफ के सामाजिक तालमेल को चैट रूम और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के रूप में बदल डाला है और लोग एक-दूसरे से मिलने के मुकाबले चैटिंग के जरिए बातें करना पसंद कर रहे हैं। अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि वेबसाइट्स की दुनिया ने लोगों की मानसिकता को काफी हद तक प्रभावित किया है और मनोवैज्ञानिक स्तर को बतौर डिप्रेशन और लत में तब्दील कर रखा है। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले कैटरिओना मॉरिसन का मानना है कि सर्फिंग की लत लोगों के मानसिक स्वास्थ पर बुरा प्रभाव डालती है।
पश्चिमी देशों में इस तरह के कराए गए अपने तरह के पहले सर्वे में यह बात सामने आई है। इसमें 16 से 51 साल के 1,319 लोग शामिल हुए थे। शोध में शामिल 1।2 फीसद लोगों की लत में इंटरनेट शुमार है। इन लोगों का अधिकतर समय सेक्स से संबंधित साइटों, ऑन लाइन गेम्स, ऑन लाइन कम्यूनिटी आदि की सर्फिंग में बीतता है। सामान्य लोगों के मुकाबले इन लोगों में डिप्रेशन में जाने की आशंका अधिक होती है। फिलहाल इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि इंटरनेट का अधिक प्रयोग करने वाले लोग पहले से डिप्रेशन के शिकार थे या फिर प्रयोग करते-करते डिप्रेशन के शिकार हो गए। यह भी पाया गया कि डिप्रेशन के दौरान लोग जमकर चैटिंग करते हैं और नई दोस्ती भी कायम करते हैं।
मनोवैज्ञानिक तथ्य काफी दिलचस्प है। जो लोग अकेले रह रहे हैं, वे अधिक समय तक नेट सर्फिंग कर चैटिंग के जरिए नए दोस्त बनाते हैं, दोस्तों का दायरा बढ़ाते हैं, सोशल वेबसाइट दोस्तों के साथ जमकर बातें करते हैं, संगीत सुनते हैं और अपनी रूचियों को शेयर करते हैं। हालांकि यह बात भी सामने आई है कि अधिक समय तक सर्फिंग करना छात्रों और भावुक लोगों के लिए फायदेमंद नहीं है और ये आदत उनके लिए चिंता का विषय है। नॉटिंघम विश्वविश्वद्यालय अस्पताल के शोधकर्ताओं के मुताबिक, जो लोग स्वस्थ्य की समस्याओं का निदान इंटरनेट पर ढूंढते हैं और अपने बच्चों का इलाज करते हैं, वह गलत है। साथ ही इंटरनेट पर स्वास्थ्य मामलों को लेकर विश्वास नहीं किया जा सकता है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इंटरनेट पर लोग गंदी टिप्पणियां करते हैं। एक-दूसरों का अनादर करने से भी बाज नहीं आ रहे। साइबर धमकियां और बदतमीजी भी सामने आ रही हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि नवीनतम तकनीक के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष होते हैं।
बहरहाल, नेट सर्फिंग करना गलत बात नहीं है। संस्कृत के एक श्लोक "अति सर्वत्र वर्जयेत' के आधार पर सवाल है कि नेट सर्फिंग की सीमा क्या हो। क्या पोर्न साइटों के इर्द-गिर्द घूमा जाए या फिर पोर्न तस्वीरों में उलझ कर अपनी मनोदशा को विकृति की ओर धकेला जाए। लगाम आपके हाथ है। नियम-कानून या फिर कोई बंधन आपकी रचनात्मकता, आपके सोचने की क्षमता और आपकी प्रतिभा को कुंठित करती है। आपको जितना अधिक स्पेस मिलेगा, जितनी अधिक छूट मिलेगी, जितनी अधिक स्वतंत्रता मिलेगी, उतना ही अधिक प्रैक्टिकल कर सकेंगे, उतना ही आपके प्रतिभा का विकास होगा। विस्तृत दायरे का फायदा सकारात्मक या नकारात्मक, किस ढंग से आप उठाते हैं,यह आप पर, आपकी सोच पर, आपकी नैतिकता पर, आपकी विचारशीलता पर, आपकी कार्यक्षमता पर, आपकी भविष्यदृष्टा शक्ति पर निर्भर करता है। क्योंकि अच्छा या बुरा काम का नतीजा आपको ही आज न तो कल भुगतना ही होगा।

2 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

यही लेख राष्‍ट्रीय सहारा में पढ़ा था और बहुत पसंद आया। पर प्रतिक्रिया कहां व्‍यक्‍त करूं, सोच रहा था। अब अवसर मिला तो छोड़ नहीं पाया। इतने उपयोगी और सार्थक लेख के लिए विनीत को बधाई।

Udan Tashtari said...

अति तो हर चीज की खराब है. सार्थक आलेख!