10/18/2009

ग्रीन टैलेंट : सौमिता बनर्जी

पच्चीस साल की सौमिता बनर्जी दुनिया की उन पहली "ग्रीन टैलेंट' में शुमार है, जिनका ख्वाब है कि हमारी पृथ्वी साफ-सुथरी होने के साथ-साथ हरी-भरी भी हो। इसके लिए जहां र्इंधन के प्रदूषण मुक्त होने को लेकर शोध कर रही है, वहीं जर्मनी में आयोजित प्रतियोगिता के दौरान उन्होंने वहां व्यापक अध्ययन किया। जर्मनी के विभिन्न विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों और कंपनियों में जाकर अध्ययन करना, उनके लिए काफी रोमांचकारी रहा। उनका यह दौरा जर्मन फेडरल मिनिस्टरी ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा ग्रीन टैलेंट कंपीटिशन के तहत था। इस मौके पर पूरे विश्व के पर्यावरण वैज्ञानिक मौजूद थे।
सौमिता दुनिया के उन पंद्रह युवा वैज्ञानिकों में शामिल थीं, जो 43 देशों के 156 प्रतिभागियों में से चुने गए थे। उन्होंने स्कूली शिक्षा नागपुर में पाई और दसवीं व बारहवीं कक्षा में काफी अच्छे अंक हासिल किये। पर्यावरण को लेकर दिलचस्पी बढ़ने को लेकर, वह बताती हैं कि अंडरग्रेज्युएट के दौरान आनुवांशिक विज्ञान से प्रभावित हुई और कालांतर में बायोटेक्नोलॉजी की उच्च शिक्षा ग्रहण करने का निश्चय किया। वह फिलहाल नागपुर स्थित नेशनल इनवारामेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट¬ूट से पीएचडी की डिग्री हासिल कर रही है।
पीएचडी की डिग्री हासिल करने को लेकर वह कहती है कि उन्हें ढर्रे की जिंदगी पसंद नहीं। वह हर दिन अपने जीवन के साथ-साथ कार्य में बदलाव चाहती है। रिसर्च के कारण हर दिन नए प्रयोग करने के लिए वह स्वतंत्र हैं। सौमिता का शोध बोयोइथेनॉल को लेकर है, जिससे इको फ्रेंडली के लिए लाभदायक हो सकता है। इसका प्रयोग र्इंधन के तौर पर किया जा सकता है। वैकल्पिक र्इंधन के तौर पर बायोमॉस के इस्तेमाल पर उसका शोध जारी है। पर्यावरण को लेकर उसका मानना है कि जलवायु परिवर्तन सबके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
साभार : राष्ट्रीय सहारा

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