7/07/2009

क्या है क़व्वाली और क्या है मुजरा

क़व्वाली शब्द बना है अरबी भाषा के शब्द क़ौल से जिसका मतलब है उक्ति. क़व्वाल वो है जो अल्लाह और उसके पैग़ंबरों की प्रशंसा के गीत गाता है. क़व्वाली की परम्परा सूफ़ी पंथ से जुड़ी है. सूफ़ी पंथ और मुख्यधारा के इस्लाम में अंतर ये है कि मुख्यधारा के मुसलमान ये मानते हैं कि क़यामत के दिन ही अल्लाह तक पहुँचा जा सकता है जबकि सूफ़ी पंथ की सोच ये है कि अल्लाह तक जीवन के दौरान भी पहुँच सकते हैं. संगीत के अध्यात्मिक असर को सूफ़ीवाद में स्वीकार किया गया और भारतीय उपमहाद्वीप में क़व्वाली को लोकप्रिय बनाने का श्रेय जाता है ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को.

जहाँ तक मुजरे का सवाल है इसका अर्थ था प्रस्तुति. नृत्य संगीत की प्रस्तुति को मुजरा कहा जाता था. पुराने ज़माने में मुजरा करने वालों या वालियों को राजाओं और समाज के संभ्रांत वर्ग का समर्थन प्राप्त था लेकिन ब्रिटिश राज में ये समाप्त हो गया. फलस्वरूप बहुत से कलाकारों को जीवन यापन के लिए और रास्ते अपनाने पर मजबूर होना पडा.

2 comments:

Udan Tashtari said...

अच्छी जानकारी!!

वीनस केसरी said...

अच्छी जानकारी दी आपने
आगे भी जारी रखे

वीनस केसरी