4/09/2009

जिन्दा कौम पॉँच नहीं बल्कि पचास साल तक किया इंतजार

राममनोहर लोहिया ने कभी कहा था कि जिन्दा कौम पॉँच साल इंतजार नहीं करती, लेकिन देश के दो नेता ऐसे रहे जिन्होंने न सिर्फ़ पॉँच साल बल्कि पचास साल तक लोगों के दिलों पर राज किया। ये वे नेता थे जो दूसरे लोकसभा में भी चुनकर आए थे और चौदहवीं लोकसभा में भी। यही कारण रहा कि इन्होंने अपने समय के सभी प्रधानमंत्रियों के कामकाज के अलावा देश की राजनीतिक हलचलों को काफी बारीक से देखा। ये हैं भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी और दूसरे हैं महाराजा मानवेन्द्र शाह ।
इन नेताओं को जब लगा कि प्रधानमंत्री का कामकाज बेहतर है तो बड़ाई की और जब लगा कि कुछ ग़लत हो रहा है तो खुलकर निंदा। विपक्ष में रहने के बावजूद भारत-पाक युद्ध के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी का इंदिरा गांधी को दुर्गा कहना लोग भूले नहीं हैं। वाजपेयी ने १९५७ के आम चुनाव में बलरामपुर से चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उनसे काफी प्रभावित थे। दिलचस्प बात है की नेहरू की भविष्यवाणी के अनुरूप वह देश के तेरहवें और सोलहवें प्रधानमंत्री बने। वाजपेयी ने जहाँ दस बार जनता का प्रतिनिधित्व किया वहीं मानवेन्द्र शाह आठ बार। वाजपेयीजी के आलावा दस बार सांसद बनने का रिकार्ड सोमनाथ चटर्जी के नाम है। इस बार स्वास्थ्य को देखते हुए वह लखनऊ से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, जबकि मानवेन्द्र शाह का निधन २००७ में हो गया।
वाजपेयीजी को जहाँ तीसरी, आठवीं और नवीं लोकसभा के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, वहीं मानवेन्द्र शाह को पांचवीं से लेकर नवीं तक लगातार लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। शुरुआत में वे कांग्रेस के सदस्य थे, लेकिन बाद में वे जनसंघ और भाजपा के सदस्य बन गए। वे १९८० से १९८३ तक आयरलैंड में भारतीय राजदूत भी रहे.

3 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

अच्छी जानकारी दी।आभार।

आशीष कुमार 'अंशु' said...

jaankaripoorn lekh...

समयचक्र said...

ब्लॉग जगत में और चिठ्ठी चर्चा में आपका स्वागत है . आज आपके ब्लॉग की चर्चा समयचक्र में ..